किन्नर से प्यार भाग - 14




कहानी _**किन्नर का प्यार**

भाग_ 14 

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

सुनंदा और राखी अपने कॉलेज से घर वापस लौट रही थी ।राखी स्कूटी चला रही थी और सुनंदा उसके पीछे बैठी हुई थी ।उनके मोहल्ले से पहले एक दूसरी कॉलोनी थी। उस मोहल्ले में घुसते ही उन्हें एक घर के सामने भीड़ दिखाई दी ।वहा काफी हो हल्ला हो रहा था।
राखी ने कहा पता नही यहां क्यों इतनी भीड़ जमी है और हो हल्ला हो रहा है।
थोड़ा रुको देखते है माजरा क्या है। सुनंदा ने कहा ।राखी ने अपनी स्कूटी सड़क के किनारे रोक दी ।
एक घर के सामने भीड़ लगी हुई थी ।सुनंदा ने एक औरत से पूछा क्या हो रहा है यहां।
क्या बताऊं तुम खुद ही देख लो ।कुछ किन्नर आए हुए हैं और रामनाथ के बेटे को जबरजस्ती ले जा रहे हैं।
सुनकर सुनंदा और राखी चौंक गई।
दोनो लपक कर भीड़ के अंदर घुस गई। सामने वही पुष्पा किन्नर अपने दल के साथ रामनाथ के बेटे का हाथ पकड़े हुए था और उसे अपने साथ ले जाने की जिद पर अड़ा हुआ था।
सुनंदा को बड़ा आश्चर्य हुआ की पुष्पा किन्नर किसी के लड़के को जबरदस्ती अपने साथ क्यों ले जाना चाहता है।
उसने राम नाथ से पूछा _ अंकल ये लोग आपके बेटे को क्यों ले जा रहे हैं अपने साथ ।उसकी पत्नी रो रही थी।
क्या बताऊं बेटी ये लोग कह रहे हैं मेरा बेटा किन्नर है इसलिए इसे अपने साथ ले जायेंगे अपने समाज में सामिल करने के लिए।
क्या बोल रहे है आप ।ये लोग ऐसा कैसे कर सकते है। सुनंदा ने कहा और फिर पुष्पा किन्नर से बोली _ आप लोग किसी के बेटे को किन्नर कहकर कैसे ले जा सकते है।
तुम फिर आ गई मेरे मामले में टांग अड़ाने । पुष्पा ने टाली बजाकर कहा ।
मैं टांग नही अड़ा रही हूं ।आप लोग मनमानी कर रहे हैं इसलिए पुछ रही हूं।सुनंदा ने कहा ।
इसका बेटा किन्नर है तो ये यहां क्या करेगा । हमारे साथ आएगा तो राज करेगा । पुष्पा किन्नर ने कहा ।
आप कैसे कह सकते हो की इनका लड़का किन्नर है सुनंदा ने पूछा ।
सौ प्रतिसत किन्नर है ।नही विश्वास है तो इसे बुलाकर , चलाकर और इसका कपड़ा उतार कर देखो । पुष्पा किन्नर ने बड़ी बेशर्मी से कहा ।
चाहे जैसा भी हो बेटा लेकिन हम तुम्हे नही दे सकते हैं।तुम लोगो से हाथ जोड़ता हूं शांति से चले जाओ सब यहां से ।हमारी बेइज्जती मत करो।
रामनाथ ने पुष्पा किन्नर के सामने हाथ जोड़कर कहा ।
चाहे आप कुछ भी कहो हम तो इसे लेकर जायेंगे । पुष्पा किन्नर ने कहा।

आप इस लड़के को हाथ छोड़ो ।बहुत से मां बाप के बच्चे लंगड़े, लूले,अंधे काने और बहरे होते है तो क्या वे लोग अपने बच्चे को फेंक देते हैं।सभी अपनी हैसियत के हिसाब से उनका पालन पोषण करते है । सुनंदा ने कहा ।उसी तरह मान भी लिया की इनके लड़के में कोई शारीरिक कमी है तो आप इसे नही ले जा सकते ।
सुनंदा ने पुष्पा के हाथ से लड़के का हाथ छुड़ाते हुए कहा।वो लडका भी रो रहा था।
पुष्पा ने सुनंदा को धक्का देते हुए कहा चल हट बड़ी आई है पक्ष लेने वाली ।सुनंदा को राखी गिरते गिरते बची अगर राखी ने उसे नही संभाल लिया होता तो ।
राखी को भी गुस्सा आ गया।उसने जोर से चिल्लाकर कहा _ देखो पुष्पा तुम किन्नर के नाम पर हर जगह आतंक मचा रही है। लोगो को परेशान कर रही हो।शांति से चली जाओ यहां से वरना हम सब पुलिस को बुला लेंगे।
बाकी लोग भी सुनंदा और राखी के पक्ष में बोलने लगे और पुष्पा को जाने के लिए बोलने लगे ।
लेकिन कुछ पागल लोग भी थे जो कह रहे थे किन्नर बेटा किस काम का ।कोई बाप अपनी बेटी का शादी तो करेगा नही इससे ।कही कोई काम धंधा भी नही कर पायेगा तो अच्छा है इन लोगो के साथ नाच गाकर अपना जीवन बिता लेगा ।
उनकी बात सुनकर पुष्पा थोड़ा उत्साहित होकर बोला _ देखी न तू ये लोग सही कह रहे हैं।मुझे इनके बेटा को ले जाने दो ।
सुनंदा ने पुष्पा का साथ देने वालो को डांटते हुए कहा _ आप लोग जैसे ही इनको बढ़ावा देते हैं।किन्नर इनका बेटा नहीं बल्कि आप सबकी सोच है। समाज में सबको जीने का अधिकार है ।फिर उसने पुष्पा किन्नर से कहा_ अब आप लोग जाते है या मैं पुलिस को बुलाऊं।
पुष्पा ने कहा _ अभी तो मैं जाति है लेकिन फिर आएगी और इसके बेटे को लेकर जायेगी।
फिर पुष्पा सुनंदा को धमकी देते हुए चली गई।
रामनाथ और उसकी पत्नी सुनंदा और राखी की तारीफ करने लगे ।बोले बेटी अच्छा हुआ तुम आ गई वरना ये लोग बड़ी देर से यहां हंगामा कर रहे थे ।
कोई बात नही हम समाज में रहते हैं तो एक दूसरे के दुख तकलीफ में साथ देना चाहिए केवल तमासाबिन बनकर नही रहना चाहिए।वैसे आपके बेटे में कोई शारीरिक कमी है तो एक बार डाक्टर से जरूर मिल लीजिए।बाकी लोगो ने कहा तुम लोग बहुत बहादुर हो बेटी ।
राखी ने स्कूटी स्टार्ट किया और बोली चल आ बैठ सखी बहुत देर हो चुकी है।फिर दोनो वहा से निकल गई।
यार ये तो बड़ी अजीब बात है किसी का बेटी या बेटा अगर किन्नर पैदा हो गया तो इसमें उस बच्चे का क्या दोष है । उसके माता पिता का हक है की वो अपनी संतान को कैसे और कहा रखे।किन्नर समाज अनवर दबाव क्यों बनाता है अपने समाज में ले जाने के लिए।अगर मां बाप खुद देने को तैयार हो तो और बात है अगर उनकी क्षमता नही है उनके पालन पोषण करने की। सुनंदा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा।
क्या करोगी सखी हमारे समाज में शायद इसी तरह से चलता आ रहा होगा।राखी ने जवाब दिया।
को भी हो इस रिवाज को बदलने की जरूरत है ।सुनंदा ने गंभीर होकर कहा।
तभी उसके मोबाईल पर राहुल का फोन आया ।राहुल ने पूछा _ क्या कर रही हो मेरी जान ।
तुम्हारी जान अभी रास्ते में है बाबू कॉलेज से अपने घर जा रही है।
सुनंदा ने हंसते हुए कहा।
ओह अच्छा जरा संभल कर चलना कही अगल बगल वाले तुमको देख कर घायल न हो जाए ।राहुल ने मजाक किया।
लोगो का छोड़ो बाबू पहले तुम अपना हाल बताओ ।सुनंदा ने कहा।
क्या बताए इधर तो बड़ा बुरा हाल है ।इसलिए तो फोन किया है।राहुल ने कहा।
क्या हो गया तुमको दिल ज्यादा धड़क रहा है क्या सुनंदा ने भी उसी लहजे में पूछा ।
तुम बताई नही की तुम मुझसे दिल्ली मिलने आओगी या मैं ही तुम्हारे पास आ जाऊं।
राहुल ने पूछा। 
अरे बाबा थोड़ा धीरज रखो मुझे मम्मी पापा से पूछना पड़ेगा तभी कुछ बता पाऊंगी ।तुम इतना व्याकुल क्यों हो रहे हो।थोड़ा सब्र नहीं कर सकते क्या ।सुनंदा ने डांटते हुए कहा।
मुझसे सब्र ही तो नही हो रहा है यार जल्दी मिलने का दिल कर रहा है। तुम्हें करीब से देखने को दिल कर रहा है।राहुल ने बैचेन होकर कहा।
ऐसे बेसब्र होगे तो पढ़ाई क्या खाक करोगे ।अगर नही सुधरे तो आई ए एस ऑफिसर तो क्या चपरासी भी नहीं बन पाओगे बाबू इसलिए जरा दिल पर काबू रखो अपने । सुनंदा ने डांटते हुए कहा।
अगर तुम चाहती हो मै ऑफिसर बनूं तो जल्दी मिलने का वादा करो।प्लीज यार मान भी जाओ न।राहुल ने अनुरोध करते हुए कहा।
ओह हो मेरा बाबू इतना व्याकुल हो गया है की मत पूछो।अब जरा फोन काटो मेरा घर आ रहा है और जाओ मन लगाकर पढ़ाई करो। सुनंदा ने कहा और फोन काट दिया ।
राखी ने हंसते हुए कहा_ सखी तुम राहुल पर इतना जुल्म क्यों ढा रही है। अगर वो तुमसे मिलना चाहता है तो उससे मिल क्यों नही लेती है।
मिलना तो मैं भी चाहती हूं यार लेकिन तुम तो जानती हो आई ए एस की पढ़ाई इतनी आसान नहीं है। बहुत मेहनत करनी पड़ती है।अगर मैं उससे मिलती रही तो उसका ध्यान भटकते रहेगा ।फिर कैसे पास करेगा वो इतना कठिन परीक्षा।अगर उसका रेंक कम हो गया तो आई ए एस नही बन पायेगा।इसलिए मैं नही चाहती मेरी वजह से उसका रेंक कम हो जाए।
सुनंदा ने गंभीर होकर कहा।
तुम सही सोच रही है।चल एक बार उससे मिल ले फिर दुबारा उसने मिलने की जिद किया तो फिर उसे मैं समझा दूंगी की अपनी पढ़ाई को मजाक में मत लो।बिना त्याग तपस्या और मेहनत से बड़ी सफलता नहीं मिलती है राखी ने कहा।
चलो ठीक है तुम कहती हो तो इस बारे में सोचती हूं
तब तक सुनंदा का घर आ गया था।राखी उसे उतार कर अपने घर की ओर चली गई।
शेष अगले भाग _15 में ।

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड

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1 Comments

Mohammed urooj khan

04-Nov-2023 12:44 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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